शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

चुनाव स्पेशल : बाईजी को हैलो बोलो

भोपाल। आम दिनचर्या में भले ही कोई बास तो कोई सेवक हो, मगर प्रजातंत्र का पावन पर्व मनाने के दौरान सब बराबर है। ऐसे नजारे जगह-जगह पोलिंग स्टेशन पर देखने को मिले। जिस लाइन में मिसेज सुनीता शर्मा लगी हुई थीं, उसी के पास वाली लाइन में उनके यहां काम करने वाली बाई भी लगी हुई थी। मिसेज शर्मा अपने बच्चे को बोलती हैं, बेटा बाई जी को हैलो बोलो। इसी प्रकार बैंक में काम करने वाले रमेश लाइन में खड़े ही हुए थे कि पीछे से उनके बास आ गए। रमेश ने आदर दिखाते हुए सर को अपने आगे लाइन में खड़े होने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, आखिर प्रजातांत्रिक त्यौहार के दिन तो सब बराबर ही हैं न।
बताते थोड़े हैं वोट किसे दिया
यह किस्सा जागरूकता का है। एक परिवार अपने छोटे बच्चे के साथ वोट डालकर लौट रहा था। वहीं एक परिचित मिले, और उन्होंने मजाकिया अंदाज में बच्चे से पूछा किसको वोट डाला। जवाब में बच्चे ने कहा कि बताते थोड़े ही हैं किसको वोट दिया।
एक वोट से गिरी थी अटल सरकार
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सिर्फ एक वोट से ही गिरी थी, इसलिए एक-एक वोट कीमती है। हर व्यक्ति अगर यही सोचकर घर बैठा रहे तो वोटिंग कौन करेगा। यह कहना है 86 वर्षीय एपी शर्मा का, जो अधिक उम्र और खराब सेहत के कारण अपने बेटे की गोद में वोट डालने आए। श्री शर्मा ने बताया कि 1952 में विंध्य प्रदेश में चुनाव के दौरान वे जोनल आफिसर थे।
निशक्तों ने भी बढ़चढ़ कर लिया भाग
75 वर्षीय टीआरके सिंह देख नहीं पाते, साथ ही अब वे सुन भी नहीं पाते, इसके बावजूद दो मोहल्ले वालों की सहायता से उन्होंने वोट डाला। इसी तरह रफीक खान, पवन किशोर और राजीव वर्मा नि:शक्त होने के बावजूद राष्ट्र सेवा के भाव से वोट डालने आए।
धीमी गति के कारण रोष
दक्षिण-पश्चिम विधान सभा क्षेत्र में धीमी गति से मतदान होने के कारण मतदाताओं में रोष व्याप्त था। मतदाता केंद्र क्रमांक 152 के भाग क्रमांक 136, 138 और 139 के लोगों के लिए माता मंदिर स्थित अग्रवाल धर्मशाला को केंद्र बनाया गया था। सुबह आठ बजे से दिन के 12 बजे तक नंबर नहीं आने पर मतदाताओं का आक्रोश फूट पड़ा। उनका कहना था कि अभी तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि एक वोट को डालने के लिए तीन से चार घंटे का इंतजार करना पड़े। स्थिति को भांपते हुए सेक्टर मजिस्ट्रेट संजय बिठोलिया, सीएसपी और गोपाल खाण्डेल ने मतदाताओं को शांत कराया और मतदान की गति तीव्र करने को कहा। इस दौरान मतदाताओं ने पीठासीन अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी भी की।
तीसरे नंबर का बटन..
अंबेडकर नगर स्थित मतदान केंद्र 47 के अंदर बैठने वाले पोलिंग एजेंट के विरुद्ध शिकायत आने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। एरिगेशन विभाग के जेपी द्विवेदी पर एक पार्टी द्वारा लगातार यह आरोप लगाए जा रहे थे, कि वह केंद्र के अंदर मतदाताओं से वोटिंग मशीन के तीसरे नंबर के बटन को दबाने के लिए कह रहा है, जिससे वहां तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी। स्थिति को समझते हुए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, हालांकि वह अपने आपको शासन की तरफ से नियुक्त व्यक्ति बता रहा था।
एक की जगह चार टेबल
मतदान केंद्र से सौ मीटर की दूरी पर प्रत्येक पार्टी को एक टेबल और दो कुर्सी रखने की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा इन टेबलों पर प्रचार सामग्री रखने की भी मनाही थी। इन सब नियमों को दरकिनार करते हुए अधिकांश पार्टियों ने प्रचार सामग्री समेत एक की जगह चार-चार टेबल लगा रखे थे। सेक्टर मजिस्ट्रेट ने कुछ मतदान केंद्रों से तो अतिरिक्त टेबल हटवाकर प्रचार सामग्री को कब्जे में ले लिया, लेकिन नेहरू नगर, गीतांजलि चौराहा, कोटरा आदि स्थानों पर टेबल पर प्रचार सामग्री रखी रही।
97 साल की उम्र में भी उत्साह
वोट डालने का उत्साह 90 वर्षीय मानिक सपकाले में देखते ही बनता था। वे ठीक प्रकार से चल नहीं पा रहे थे, लेकिन दो लोगों की मदद से वे मतदान केंद्र तक पहुंचे और अपने मताधिकार का उपयोग किया। वहीं जवाहर चौक स्थित कस्तूरबा स्कूल में 97 वर्ष की महिला नन्हीं बाई ने मतदान किया। उन्हें मतदान कराने उनका बेटा गोदी में लेकर आया था।
क्या कहते हैं मतदाता
वोट डालने में इतना इंतजार कभी नहीं करना पड़ा। सुबह-सुबह आठ बजे ही आ गए थे, लेकिन तीन घंटे में भी लाइन वहीं की वहीं बनी हुई है। इच्छा तो यह हो रही थी कि मतदान ही न करूं।
अजय शर्मा
हम चार लोग वोट देने आए हैं, लेकिन कभी यह बता रहे हैं कि पर्ची गलत है और कभी बता रहे हैं कि आपका यह मतदान केंद्र नहीं हैं। मेरे घर से दो लोग बिना मतदान किए हुए ही चले गए।
सुनील कुमार सेन
पर्ची में नाम अलग है और वोटर आईडी कार्ड में नाम अलग, जिसकी वजह से मतदान नहीं कर पाया। अब राशन कार्ड लेने जा रहा हूं। ज्यादा दिक्कत आई, तो वोट ही नहीं दूंगा।
संदीप भटनागर
विगत कई चुनावों में मैंने मतदान किया है, लेकिन इस बार मतदाता सूची में नाम ही नहीं है। जिसके कारण वोट नहीं दे पा रही हूं। समझ में नहीं आ रहा है कि इस बार मेरा नाम मतदाता सूची से कैसे गायब हो गया।